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श्लोक : 5 / 78

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
पूजा, तप और दान जैसे कार्यों को नहीं छोड़ना चाहिए; ये निश्चित रूप से करने के योग्य हैं; पूजा, तप और दान ज्ञानियों को भी शुद्ध करते हैं।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक के आधार पर, मकर राशि में जन्मे लोगों के लिए उत्तराधान नक्षत्र और शनि ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पूजा, तप, दान के माध्यम से व्यवसाय में वृद्धि और परिवार के कल्याण में सुधार होगा। व्यवसाय में मेहनत और जिम्मेदारी बढ़ेगी, जिससे व्यवसाय की वृद्धि सुनिश्चित होगी। परिवार में एकता और खुशी बनाए रखने के लिए पूजा और दान सहायक होंगे। स्वास्थ्य में सुधार के लिए तप और ध्यान आवश्यक हैं। शनि ग्रह के प्रभाव के कारण, जीवन में कठिनाइयों का सामना करने के लिए मानसिक दृढ़ता की आवश्यकता है। इसलिए, पूजा और तप के माध्यम से मानसिक स्थिति स्थिर रहेगी। इस प्रकार, यह श्लोक मकर राशि के व्यक्तियों को जीवन के कई क्षेत्रों में प्रगति प्रदान करेगा।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।