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श्लोक : 46 / 47

अर्जुन
अर्जुन
यदि मुझे युद्धभूमि में, बिना किसी हथियार के, निरायुधपाणि होकर, धृतराष्ट्र के पुत्रों द्वारा मारा जाए, तो मेरी मृत्यु उनके लिए अधिक महान होगी।
राशी मकर
नक्षत्र मूल
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, मानसिक स्थिति
इस भगवद गीता श्लोक में अर्जुन अपनी मानसिक उलझन को प्रकट करते हैं। इसे ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखने पर, मकर राशि और मूल नक्षत्र महत्वपूर्ण होते हैं। शनि ग्रह, मकर राशि का स्वामी होने के नाते, व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में चुनौतियों का सामना करते समय मानसिक स्थिति को स्थिर रखना आवश्यक है। शनि ग्रह, जीवन में सीमाओं और जिम्मेदारियों को दर्शाता है। व्यवसायिक जीवन में चुनौतियों का सामना करते समय, मानसिक स्थिति को शांत रखना महत्वपूर्ण है। पारिवारिक संबंधों में उत्पन्न समस्याओं को संभालने के लिए धैर्य और जिम्मेदारी की आवश्यकता होती है। जब मानसिक स्थिति स्थिर होती है, तो व्यवसाय और परिवार में अच्छे निर्णय लिए जा सकते हैं। अर्जुन की मानसिक उलझन, हमारे जीवन में विभिन्न परिस्थितियों में उत्पन्न होने वाली उलझनों को दर्शाती है। इसे संभालने के लिए, धर्म के आधार पर कार्य करना आवश्यक है। मानसिक स्थिति को स्थिर रखने के माध्यम से, व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।