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श्लोक : 10 / 78

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
त्याग करने वाला, हानि पहुँचाने वाले कार्यों से घृणा करता है और अच्छे कार्यों से भी नहीं जुड़ता; ऐसे बुद्धिमान व्यक्ति सत्य [सत्त्व] गुण के साथ रहते हैं।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, मानसिक स्थिति
इस भगवद गीता श्लोक में भगवान कृष्ण त्याग के असली अर्थ को स्पष्ट करते हैं। मकर राशि में जन्मे लोग, उत्तराद्रा नक्षत्र और शनि ग्रह के प्रभाव में हैं, उन्हें अपने व्यवसाय और वित्त प्रबंधन में बहुत ध्यान देना चाहिए। शनि ग्रह मेहनत और जिम्मेदारियों का संकेत देता है, इसलिए व्यवसाय में सफलता पाने के लिए, उन्हें कठिन परिश्रम के साथ कार्य करना चाहिए। लेकिन, उन्हें अपने कार्यों के परिणामों के प्रति आसक्तियों को छोड़ देना चाहिए। मानसिकता को संतुलित रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उनकी मानसिक शांति सुनिश्चित होगी। वित्त प्रबंधन में, उन्हें योजना बनाकर और जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए। त्याग और साधना की मानसिकता, उन्हें मानसिक रूप से शांत रखेगी। इससे, वे व्यवसाय और वित्त क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकेंगे। मानसिकता को संतुलित रखना, उनके जीवन में संतुलन स्थापित करेगा। इससे, वे दीर्घकालिक लाभों का अनुभव कर सकेंगे।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।