क्या आपने आज अपने परिवार में पूर्वजों के जीवन के तरीके के बारे में सोचा? अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए, आज आपने कौन सा छोटा निर्णय लिया?
क्या आपने आज सोचा कि आपके रसोई में बना भोजन, आपके बच्चों के भविष्य के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?
आज कृतिका नक्षत्र, द्वादशी तिथि और शुक्ल पक्ष परिवार में अनुशासन और परंपरा की याद दिलाने वाला दिन है। चंद्रमा मेष राशि में होने से मनोदशा और शारीरिक ऊर्जा पर हल्का प्रभाव पड़ता है। बुधवार का दिन, ज्ञान और अनुभव को जोड़ने वाला वातावरण बनाता है।
जहाँ बच्चे खेलते हैं वह जगह साफ हो, तो डॉक्टर के घर जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
🪞 चिंतन
आज आपके घर में बच्चों ने बाहर खेलने में कितना समय बिताया?
आपकी रसोई में आज कौन सा पारंपरिक भोजन बना?
आज आपने अपने पूर्वजों के जीवन के तरीके को याद करने का कौन सा पल अनुभव किया?
📖
दादी के घर का आँगन
सूरज ढलने का समय था। घर के आँगन में बैठे रमेश ने अपने बेटे अरुण को मोबाइल पर खेलते हुए देखा। पास में माँ रसोई में जल्दी-जल्दी खाना बना रही थीं। घर के सभी लोग तेज़ रफ्तार की ज़िंदगी, काम, स्कूल, ऑनलाइन मीटिंग में व्यस्त थे।
उसी दिन अचानक, रमेश की माँ, यानी दादी, घर आईं। उन्होंने आँगन में खड़े होकर मुस्कुराते हुए कहा, "यहाँ बच्चों के खेलने की आवाज़ सुनाई ही नहीं देती!" उनके हाथ में था, पुरानी दादी की बनाई करेला की सब्ज़ी। घर में उसकी खुशबू फैल गई।
अरुण ने पहले मुँह बनाया। लेकिन दादी ने कहा, "हमारे गाँव के बच्चे सब यही खाते थे और बड़े हुए। हमें कभी बीमारी नहीं हुई।" यह सुनकर अरुण ने भी थोड़ा चखा। तब दादी ने कहा, "जब मैं तुम्हारी उम्र की थी, शाम को गली में बच्चे दौड़ते-खेलते थे। खाना हाथ में होता था। डॉक्टर कभी घर नहीं आते थे।"
ये बातें रमेश के मन में बस गईं। आज घर में बच्चों के खेलने की आवाज़ नहीं थी, सब अपने-अपने उपकरणों के साथ अकेले थे। दादी जैसी लंबी उम्र के लिए, क्या हमने अपनी पुरानी आदतें भूल दी हैं, यह सोच रमेश को छू गई।
उस रात, अरुण, रमेश और दादी ने आँगन में बैठकर थोड़ी देर बातें कीं। वह समय, एक नई शुरुआत की तरह, पुरानी यादों को फिर से जीवित कर गया। रमेश ने महसूस किया कि जीवनशैली में छोटे बदलाव, एक पीढ़ी के स्वास्थ्य को कैसे बदल सकते हैं।
📜 भगवद् गीता ज्ञान
भगवद गीता में, भोजन को तीन गुणों में बाँटा गया है। भगवान बताते हैं कि सात्विक भोजन शरीर, मन और आयु के लिए लाभकारी होता है। परिवार में पकाया गया भोजन, अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य और मनोदशा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वाद और सुख ही नहीं; भोजन जीवन की नींव है। आज हमें सोचना है – हमारी रसोई की आदतें, हमारे परिवार की दीर्घायु में कैसे सहायक हैं।
🔭 ज्योतिष संदर्भ
आज के ग्रह स्थिति, विशेष रूप से चंद्रमा का मेष में होना और सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र का धनु राशि में होना, परिवार में स्वास्थ्य और संबंधों की ऊर्जा को प्रोत्साहित करता है। कृतिका नक्षत्र पारंपरिक भोजन और आदतों पर ध्यान देने का दिन है। द्वादशी तिथि, स्वच्छता और अनुशासन का महत्व याद दिलाती है। शनि के मीन राशि में होने से, बुजुर्गों का अनुभव और शांति अधिक महसूस होती है। ये सभी बातें परिवार में अनुशासन, स्वास्थ्य और दीर्घायु से जुड़ी सोच को प्रेरित करती हैं।