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श्लोक : 14 / 28

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
शुद्धता, ईमानदारी, ब्रह्मचर्य और अप्रभावितता के माध्यम से, भगवान की पूजा करना, ब्राह्मणों का सम्मान करना, गुरु का सम्मान करना, और बुजुर्गों का सम्मान करना, ये सभी शरीर का तप कहलाते हैं।
राशी कन्या
नक्षत्र हस्त
🟣 ग्रह बुध
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, स्वास्थ्य, धर्म/मूल्य
इस भगवद गीता श्लोक के आधार पर, कन्या राशि और अस्तम नक्षत्र वाले व्यक्तियों को, बुध ग्रह के प्रभाव से, अपने व्यवसाय और स्वास्थ्य में शुद्धता का पालन करना चाहिए। वे अपने शरीर की शुद्धता को बढ़ाकर, व्यवसाय में बेहतर प्रगति प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, धर्म और मूल्यों का सम्मान करके, बुजुर्गों का सम्मान करना उनके जीवन में लाभ लाएगा। शरीर का तप, स्वास्थ्य को सुधारकर, मन को शांति देता है। इससे, वे अपने व्यवसाय में उच्च स्तर प्राप्त कर सकते हैं। धर्म और मूल्यों का पालन करने से, वे समाज में अच्छा नाम प्राप्त कर सकते हैं। यह श्लोक, शरीर की शुद्धता को बढ़ाकर, आध्यात्मिक प्रगति में मदद करता है। इससे, वे जीवन में स्थिरता के साथ आगे बढ़ सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।