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श्लोक : 14 / 35

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
इसके हाथ और पैर सभी स्थानों पर हैं; इसका सिर, चेहरा और आंखें सभी स्थानों पर हैं; इसके कान सभी स्थानों पर हैं; यह दुनिया में स्थिर है; और, यह सबको ढकता है।
राशी मकर
नक्षत्र श्रवण
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
भगवत गीता के अध्याय 13, श्लोक 14 में, भगवान श्री कृष्ण परमात्मा की सर्वव्यापकता को दर्शाते हैं। इस श्लोक के आधार पर, मकर राशि और तिरुवोणम नक्षत्र में जन्मे लोग, शनि ग्रह के प्रभाव में, अपने व्यवसाय, परिवार और स्वास्थ्य में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। व्यवसाय में, वे एकता से कार्य करके सफलता आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। परिवार में, सभी रिश्तों को आपसी प्रेम से मिलकर कार्य करना चाहिए। स्वास्थ्य में, अच्छे भोजन की आदतें और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने पर जोर देना चाहिए। परमात्मा की शक्ति हर जगह है, इस विश्वास के साथ, वे अपने जीवन में मूल्यों का निर्माण कर सकते हैं। इससे, वे अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। उनके मानसिकता और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होगा। पारिवारिक रिश्ते और मजबूत होंगे। व्यवसाय में, वे नए अवसर प्राप्त करेंगे। इससे, वे अपने जीवन में सम्पूर्ण कल्याण प्राप्त कर सकेंगे।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।